महाविकास अघाड़ी सरकार ने राज्यपाल को सौंपी विधानपरिषद के लिए 12 सदस्यों के नामों की लिस्ट
दूसरी पार्टी से आए हुए लोगों को ज्यादा तरजीह देने से राजनैतिक पार्टियों के लिए एक बड़ा सरदर्द बनने वाला है।

मुंबई प्रतिनिधि : राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नियुक्त किए जाने वाले 12 सदस्यों के नाम की लिस्ट महाविकास अघाड़ी सरकार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सील बंद लिफाफे में शुक्रवार देर शाम सौंपी। इस लिस्ट से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने गठबंधन में शामिल पार्टियों के नेताओं की बजाय दूसरी पार्टी से आए हुए लोगों को ज्यादा तरजीह दी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की ओर से 4-4 नाम सौंपे गए हैं। लेकिन ख़ास बात यह है कि राज्यपाल को सौंपे गए नामों में सीधे पार्टी कैडर से सम्बंधित लोगों के बजाए दूसरी पार्टियों की टिकट पर चुनाव लड़ चुके लोगों का ज़्यादा बोलबाला दिखाई दे रहा है।
शिवसेना ने उर्मिला मातोंडकर को अपने कोटे से उमीदवार बनाया है। वहीं, चंद्रकांत रघुवंशी भी विधानसभा चुनाव के वक़्त कांग्रेस छोड़ शिवसेना में आए थे, उनके नाम की भी सिफ़ारिश की है गई है। शिवसेना कैडर से पिछले कई सालों से जुड़े रहे नितिन बांगगुडे पाटिल और विजय करंजकर को मौक़ा दिया है।
एनसीपी ने भी किसानों के नेता और अपने सहयोगी राजू शेट्टी को अपने कोटे से एमएलसी बनाना तय किया है तो वहीं, पिछले महीने बीजेपी से एनसीपी में शामिल हुए एकनाथ खडसे को भी उमीदवारी दी है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी रहे यशपाल बिगने को एनसीपी ने अपने कोटे से उमीदवार बनाया है तो उनके खेमे से चौथा नाम आनंद शिंदे का है। तो वहीं कांग्रेस के कोटे से रजनी पाटील, प्रवक्ता सचिन सावंत, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्याध्यक्ष मुजफ्फर हुसैन और अनिरुद्ध वनकर के नाम दिये गये हैं।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्यपाल, सरकार की ओर से दिए गए नाम की लिस्ट को मंज़ूर करेंगे या नहीं। नियम के मुताबिक़ राज्यपाल मनोनीत सदस्य के लिए कला, साहित्य, सहकार, पत्रकार जैसे क्षेत्र से सम्बंधित होना ज़रूरी है, नहीं तो राज्यपाल नामों को नामंज़ूर भी कर सकते है। अब साफ़ है की अगर महाविकास आघाडी ने मनोनीत किये हुए नामों को जल्द मंज़ूर नहीं किया तो महाराष्ट्र में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति होगी। साथ ही बाहर से आये हुए नेताओं को विधानपरिषद के मनोनीत किये जाने से पार्टी के कुछ नेताओं में भी नाराजी फैली हुई है जो की इन राजनैतिक पार्टियों के लिए एक बड़ा सरदर्द बनने वाला है।