मीरा-भाइंदर शहर में चल रहा शौचालय का झोल? सार्वजनिक बांधकाम विभाग के एक और कारनामे की खुलेगी पोल !
मीरा-भाईंदर महानगर पालिका में चल रहा यह एक और बहुत बड़ा घोटाला उजागर हुआ है!

मीरा-भाईंदर, प्रतिनिधि : मीरा- भाईंदर महानगर पालिका के सार्वजनिक बांधकाम विभाग का एक और कारनामा सामने आया है। भाईंदर पश्चिम, प्रभाग 01 के गणेश देवल नगर गल्ली नंबर पांच में बने शौचालय में रहनेवाली महिला वर्षा मंजीत मलिक का कहना है की पिछले सालभर से वो इस शौचालय के कमरे में रहते आ रहे हैं और वो इसका दस हजार रुपये के हिसाब से महीने का किराया ठेकेदार को नियमित रूप से देते आ रहे हैं लेकिन अभी उस शौचालय का ठेका किसी और ठेकेदार को दिया गया है और वो ठेकेदार ने उन्हें कमरा खाली करने के लिए कहा है तब जाकर उन्होंने स्थानीय नगरसेवक से इस बारे में शिकायत की और मीरा-भाईंदर मनपा अधिकारी और ठेकेदार के मिलीभगत से चल रहा यह गोरखधंधा उजागर हुआ है।
मीरा-भाईंदर शहर में हर प्रभाग में जगह जगहों पर सैकड़ों सार्वजनिक शौचालय बनाये गए हैं उन शौचालयों की देखभाल और साफ़-सफ़ाई करने की ज़िम्मेदारी निजी संस्थाओं को सालाना ठेके के रूप में सौंपी जाती है। इस साफ़-सफ़ाई के ऐवज में शौचालय इस्तेमाल करनेवाले नागरिकों से दो से पांच रुपये प्रति व्यक्ति या फ़िर साठ रुपये से लेकर सौ रुपये तक मासिक शुल्क लिया जाता है। इसी शुल्क के बदले में शौचालय की साफ़-सफ़ाई करना, उसकी देखभाल करना, नागरिकों को पानी उपलब्ध कराना इत्यादि सेवा देना बंधनकारक होता है। इन्ही शौचालयों के ऊपरवाली मंजिल पर एक या दो कमरे बनाये गए हैं जिसमे उस शौचालय की देखभाल करनेवाले कर्मचारी अपने परिवार के साथ रहते हैं। लेकिन अब पता चला हैं की उन कमरों में सफ़ाई कर्मचारी ना रहकर उन्हें आठ से दस हजार के मासिक किराए पर दिया जा रहे है और यह किराया ठेकेदार और सार्वजनिक बांधकाम के अधिकारी बाँट लेते हैं। इस गोरखधंधे में सार्वजनिक बांधकाम विभाग के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत है ऐसा आरोप लगाया जा रहा है। इस बारे में सार्वजनिक बांधकाम विभाग के अधिकारियों से उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क हो नहीं पाया।
मीरा-भाईंदर शहर में जितने भी शौचालय बनाये गए हैं उन सभी शौचालयों को चलाने के लिए जिन ठेकेदारों को ठेके दिए गए हैं उन सभी की जांच होनी चाहिए और इस भ्रष्टाचार में मनपा के जो भी अधिकारी शामिल हैं उनपर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए! – पंकज सूर्यमणि पांडेय उर्फ़ दरोगा पांडेय (स्थानीय नगरसेवक)
मीरा-भाईंदर शहर में हर प्रभाग में वहां पर रहनेवाले नागरिकों की संख्या को देखते हुए और वहां की आवश्यकता के अनुसार एक माजिला या दो मंजिला शौचालय बनाये गए हैं। कई शौचालय तो खाड़ी के किनारे, जंगल में, सुनसान और ऐसी जगहों पर बनाये गए हैं जहाँ पर कोई लोकवस्ती है ही नहीं। देश में चल रहे स्वच्छ भारत का हवाला देकर इन शौचालयों को बनाने में पर्यावरण विभाग और सीआरझेड के नियमों का भी कई जगहों पर उल्लंघन किया गया हैं। कई शौचालय जॉगर्स पार्क, स्मशानभूमि, खेलकूद के मैदान, यहाँ तक की सीवरेज प्लांट जैसी जगहों पर भी शौचालय बनाये गए हैं जहाँ नागरिक नियमित रूप से रहते नहीं हैं। इन शौचालयों के निर्माण में भी कई प्रकार की अनियमितता की गई है ऐसा आरोप लगाया जा रहा है। सूत्रों के हवाले से पता चला है की सार्वजनिक बांधकाम विभाग के एक उप अभियंता और सफ़ाई करनेवाली निजी संस्था के भागीदारी में यह सभी शौचालय चलाए जा रहे हैं ताकि उन सभी शौचालयों की साफ़-सफ़ाई के ठेके किसी विशिष्ठ ठेकेदार को ही दिया जाए और उस शौचालय के कमीशन की रकम हर महीने उस अधिकारी को मिलती रहे। भाईंदर पश्चिम के गणेश देवल नगर में शौचालय के कमरों को किराए पर देने की बात सामने आने पर मीरा-भाईंदर महानगर पालिका में चल रहा यह एक बहुत बड़ा घोटाला उजागर हुआ है और मीरा-भाईंदर शहर में जितने भी शौचालय निजी संस्था को चलाने के लिए दिए गए हैं उन सभी जांच होनी चाहिए ऐसी मांग की जा रही है।
इस बारे में स्थायी समिति के पूर्व सभापति और नगरसेवक रवि व्यास और पंकज पांडेय उर्फ़ दरोगा पांडेय ने मनपा आयुक्त को लिखित रूप से शिकायत करते हुए उक्त ठेकेदार का ठेका तुरंत रद्द कर उसे ब्लैक लिस्ट में डालकर कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। अब देखना होगा की मनपा आयुक्त मीरा-भाईंदर शहर में चल रहे इस भष्टाचार की जांच करते हैं या नहीं? और स्थानीय नगरसेवकों की शिकायत पर इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं? लेकिन मीरा-भाईंदर शहर में भ्रष्टाचार का स्तर इतना निचे गिर चूका है की यहाँ के भ्रष्ट अधिकारी शौचालय में भी मलाई खा रहे हैं यह बहुत ही शर्मनाक बात है ऐसी प्रतिक्रिया आम नागरिकों द्वारा दी जा रही है।