संपादक: मोईन सय्यद/मीरा भाईंदर प्रतिनिधि
मीरा भाईंदर: मस्जिदों पर लगे लाउड स्पीकर और मुसलमानों द्वारा रास्तों पर नमाज़ पढ़े जाने को लेकर पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है। इसी विवाद को हल करने के लिए मीरा भाईंदर शहर के पूर्व विधायक व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए बहुत ही सराहनीय एवं सकारात्मक पहल की है।
मीरारोड के नया नगर में स्थित शहर की सबसे बड़ी, आलीशान मस्जिद है जामा मस्जिद अल शम्स। इस मस्जिद के निर्माण में कांग्रेस नेता मुजफ्फर हुसैन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और वो इस मस्जिद के ट्रस्टी भी हैं।
इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए मुजफ्फर हुसैन ने कहा की हम हमेशा से ही देश कानून का पालन करने में विश्वास करते आए है और इसी के कारण मस्जिदों पर लगाए जाने वाले लाउड स्पीकर के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए जामा मस्जिद अल शम्स में अमरीका और जर्मनी से मंगाए गए अत्यंत आधुनिक प्रकार के साउंड सिस्टम को लगाया गया है ताकि लाउड स्पीकर पर कही जाने वाली अजान की आवाज सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए मानकों के अनुसार मर्यादा में रहे और ध्वनि प्रदूषण भी ना हो!
देश के कई शहरों में मस्जिदों में नमाजियों को नमाज पढ़ने के लिए जगह की कमी होती है जिसके कारण मुसलमानों को मजबूरन रास्तों पर नमाज अदा करनी पड़ती है। इसके लिए हिंदुत्ववादियों द्वारा आपत्ति जताई जाने कारण कई बार विवाद भी हुए है।
मुजफ्फर हुसैन ने इस विवाद को भी सुलझाने के लिए देश के सभी मस्जिदों के ट्रस्टी और मौलानाओं को एक बढ़िया सुझाव दिया है। जिन मस्जिदों में नमाज़ के लिए जगह की कमी होती है और नमाजियों को रास्तों पर नमाज अदा करनी पड़ती है उन मस्जिदों में दो या तीन जमातों में नमाज़ पढ़ाई जाए ताकि नमाजियों को जगह की कमी के कारण रास्तों पर नमाज़ ना पढ़नी पड़े और विवाद ना हो।
बता दें की देश के लगभग सभी दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी संगठन पिछले कई वर्षों से कभी बीफ बैन को लेकर, कभी रास्ते पर नमाज़ पढ़ने को लेकर, कभी हिज़ाब को लेकर तो कभी मांसाहार को लेकर किसी ना किसी बहाने मुस्लिम समाज को लगातार लक्ष्य करते आ रहे हैं। इसी कड़ी में अब मस्जिदों पर लगे लाउड स्पीकर हटाने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से विरोध किया जा रहा है। अब इस विवाद में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे भी कूद पड़े हैं। मनसे द्वारा आयोजित गुड़ी पाडवा के रैली के दौरान उन्होंने ऐलान कर दिया कि देशभर की मस्जिदों पर लगे लाउड स्पीकर हटाएं जाएं वरना उनके कार्यकर्ताओं द्वारा मस्जिदों के सामने लाउड स्पीकर पर दुगुनी तेज आवाज़ में हनुमान चालीसा पढ़ा जाएगा।
मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि 3 मई को रमजान ईद है और ईद के बाद अगर महाराष्ट्र में सभी मस्जिदों पर लगे लाउड स्पीकर नहीं हटाए गए तो उनके कार्यकर्ता मस्जिदों के सामने ही लाउड स्पीकर पर हनुमान चालीसा पढ़ेंगे। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के इस ऐलान के बाद से ही पूरे देश की राजनीति काफ़ी गर्मा गई है और इस विषय पर बड़े पैमाने पर चर्चा हो रही है।
इसी विवाद को ध्यान में रखते हुए मीरा भाईंदर शहर के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व विधायक मुजफ्फर हुसैन ने इस विवाद को सुलझाने का एक बढ़िया सुझाव दिया है। उन्होंने देश के सभी मस्जिदों के ट्रस्टी और इमामों से आवाहन किया है कि लाउड स्पीकर की आवाज़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा निर्देश जारी किए हैं उसी दिशा निर्देशों के अनुसार मस्जिदों में लाउड स्पीकर पर अजान और नमाज़ पढ़ी जाए ताकि यह विवाद अपने आप ही खत्म हो जाए। साथ ही मुजफ्फर हुसैन ने यह भी सुझाव दिया है कि जिन मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए जगह की कमी है जहां पर लोग मजबूरन रास्तों पर नमाज पढ़ते हैं उन मस्जिदों में दो या तीन जमातों में नमाज पढ़ाई जाए ताकि लोगों को रास्ते पर नमाज पढ़ने की जरूरत ना पड़े।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए मीरा भाईंदर शहर की सबसे बड़ी और आलीशान मस्जिद कही जाने वाली जामा मस्जिद अल शम्स में अमेरिका और जर्मनी से मंगाए हुए अत्याधुनिक साउंड सिस्टम लगाए गए हैं ताकि अज़ान और नमाज़ की आवाज तय मानकों के अनुसार मर्यादा में रहे और ध्वनि प्रदूषण के कारण किसी को भी तकलीफ ना पहुंचे।
इसी प्रकार से विशेषतः ईद की और जुमे की नमाज़ जगह की कमी के कारण किसी को भी रास्ते पर नमाज ना पढ़नी पड़े इसके लिए जामा मस्जिद अल शम्स में दो जमातों में नमाज़ अदा करने का इंतजाम किया गया है।
देश की एकता अखंडता को कायम रखने के उद्देश्य से किए गए इस सकारात्मक पहल के कारण कांग्रेस नेता मुजफ्फर हुसैन की पूरे देशभर में काफ़ी सराहना की जा रही है साथ ही इस सकारात्मक पहल का अनुसरण करते हुए देश की सभी मस्जिदों के ट्रस्टी और मौलानाओं ने भी इस बात पर अमल करना चाहिए ताकि अज़ान की आवाज़ को लेकर या रास्तों पर नमाज़ पढ़ने को लेकर कोई विवाद ना हो और देश की एकता अखंडता बनी रहे ऐसी उम्मीद समाज के सभी स्तर से जताई जा रही है।
“अगर हमारी इबादतों से किसी को भी किसी भी तरीक़े से तकलीफ़ पहुंचती है तो ऐसी इबादत अल्लाह के बारगाह में कुबुल नही होगी!” – मुजफ्फर हुसैन