Featured ताज़ा खबरें देश-विदेश महाराष्ट्र मुंबई

अनब्रान्डेड खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत जीएसटी का निर्णय कोई बड़ी साजिश तो नहीं है?- शंकर ठक्कर

मुंबई: कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के मुंबई महानगर प्रांत के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा “स्पष्ट कहें तो जीएसटी काउन्सिल और अधिकारियों को वास्तविकता का अनुभव नहीं है। यह टैक्स का ढांचा जनता तथा किसानों के हित में नहीं है।

विविध प्रकार के टैक्स तथा जीएसटी से किसान के माल को ब्रान्डेड या अन-ब्रान्डेड श्रेणी में लाने से आख़िर में इसका बोझ तो आम जनता पर ही पड़ने वाला है। इसके अलावा व्यापारियों को लाईसन्स राज, ईन्स्पेक्टर राज तथा कथित भ्रष्टाचार से जूझना पड़ता है। क्योंकि यह सब कृषि माल के मार्जिन का प्रमाण जैसे बैंकों के ब्याज दर कम हुए हैं वैसे ही कम कमिशन पर काम होते हैं। तथा सरकार के विविध विभागों जैसे की एपीएमसी, जीएसटी, ईनकम टेक्स इत्यादि टैक्स और अन्य खर्च यह सब गिनने के बाद जब जनता के पास माल पहुंचता है तब माल पर 40 से 50 प्रतिशत का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाता है, जो की अन्यायकारक है”

कृषि माल का संपूर्ण प्रोसेसिंग हो कर बिकता है तब जीएसटी तो लगता ही है। फिर भी मल्टी नेशनल कंपनियां, कोर्पोरेट हाउस तथा ई-कॉमर्स के दबाव के चलते छोटे-बडे लाखों व्यापारी जो खेत मंडियों में काम करते हैं, उनका समावेश कर लेने से उनके व्यापार के डेटा यह सब कंपनीयां ले लेती है जो एक साजिश दिखाई दे रही है। यह एक आंतरराष्ट्रीय साजिश है। मोदी सरकार को इस बात की गंभीरता को समझना चाहिए अन्यथा व्यापारीयों का आंदोलन जनहित आंदोलन में बदलते देर नहीं होगी और ईस प्रकार के आंदोलन से पूर्व में सरकारें भी बदल चुकी है।

हैरानी की बात तो यह है की जीएसटी की आय देढ गुना बढ़ चुकी है, ऐसे समय में अनेक चीजों को जीएसटी के दायरे में लाने का कारण क्या हो सकता है? जब आय का स्रोत बढ़ा है तो इसका कारण समझ में नहीं आता। यह सब मल्टीनेशनल कंपनीयों, कोर्पोरेट हाउस और ई-कॉमर्स के हित में किया जा रहा है।

हरियाणा से अगर 100 रूपिए का चावल नीकलता है, तो हरियाणा के मंडी टैक्स और जीएसटी के कुल 13 रूपिए और अन्य खर्च 7 रूपिए यानी 100 के 120 हो गए तथा ट्रान्सपोर्टेशन हो कर मुंबई के होलसेल व्यापारी के पास आएंगे जहां व्यापारी दो प्रतिशत कमिशन लगाएगा और अन्य खर्च मिलाने का बाद जीएसटी भी पांच-प्रतिशत लगता है। तथा अन्य खर्च कुल 11 रुपए और गीन लिजिए। यानी हरियाणा में रू. 20 और मुंबई में रू.11 हुए। ईसके बाद मुनाफा अलग होगा जिसके उपर इनकम टैक्स भी भरना होगा। मान लीजिए की 31 रूपिये के प्रोफिट के साथ माल होटेल में गया यानी होटेल वाले को यह चावल 150 रूपिए में पड़ेगा।

मान लिजिए की दाल खीचडी के एक प्लेट के रू.80 है तो पांच प्लेट के हुए 400 रु. ईसके उपर भी पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। अब ये रू.20 का टैक्स तो जनता ही चुकाती है। तथा होटेल वाले मुनाफे के उपर भी ईन्कम टैक्स भरेंगे सो अलग। ईसलिए इसे गोलमाल टैक्स कहा जा सकता है। जुलाई की आठ तारीख को महाराष्ट्र के व्यापारीयों की बैठक संपन्न हुई है। आने वाले समय में आंदोलन भी हो सकता है। सरकार जनहित में जीएसटी का निर्णय वापस खींच ले ऐसा हमारा अनुरोध है। अगर सरकार को ईतना टैक्स मिलता है तो उससे किसानों का कल्याण करना चाहिए।

इस समय सरकार को 60-70 रुपिए जाते हैं। जीएसटी के पहले तो ईतने नही होते थे। जीएसटी प्रस्तावित किया गया तभी सुनिश्चित किया गया था की कृषि माल के उपर टैक्स नहीं लगेगा। अब टैक्स भी ऐसे समय पर लगाया गया है जब आय डेढ़ गुना बढ़ चुकी है। हमारा प्रश्न है की यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने की साजिश तो नहीं है? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय व्यापार बोर्ड की रचना की किंतु इसमें भी आगे कोई अपडेट नहीं हुआ है। सरकार को विदेश जैसी उदारनीति भारत में लानी चाहिए जिससे भारत में भी व्यापार करने का प्रोत्साहन मिले। हमें विश्वास है की मोदी सरकार इसे गंभीरता को समझते हुए अपने निर्णय को वापस लेगी।

:कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स, मुंबई महानगर इकाई

अध्यक्ष : श्री शंकर वी. ठक्कर
8655500600

svthakkar44@gmail.com

नोट: यह लेख लोकहित न्यूज़ के संपादक द्वारा संपादित नही किया गया है!

Share it!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *