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व्यायाम करते समय ५६ वर्षीय महिला को आया स्ट्रोक का झटका

मीरारोड के वॉकहार्ट अस्पताल में हुआ सफलता पूर्वक इलाज!

मुंबई, प्रतिनिधि: व्यायाम करते समय इस्केमिक स्ट्रोक का झटका आने के वजह से जिंदगी और मौत से बीच लढनेवाली एक ५६ वर्षीय महिला को मिरारोड के वॉक्हार्ट अस्पताल के डॉक्टरोंने नया जीवन दिया हैं। वॉक्हार्ट अस्पताल के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन पई के नेतृत्व में एक टीम ने इस महिला की जान बचाई हैं। अब महिला अपने पैरों पर चल सकती हैं इसलिए उन्हें डिस्चार्ज दिया गया हैं।

मिरारोड में रहनेवाली सुषमा (बदला हुआ नाम) सुबह ९.१५ बजे जिम में व्यायाम करते समय अचानक उनके दाहिने हिस्से में दर्द शुरू हुआ। मरीज की बिघडती सेहत को देखकर उनके बेटे ने उन्हें वॉक्हार्ट अस्पताल दाखिल किया।
वॉक्हार्ट अस्पताल के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन पई ने कहॉं की, “मरीज को अस्पताल लाया गया तब उसके शरीर के दाहिने हिस्से में पूरी तरह से कमजोरी थी, वह बोल नहीं सकती थी और नींद में थी। वह ४.५ घंटे की अवधि के भीतर पहुंच गई थी। वैद्यकीय जाचं में उन्हें इस्केमिक स्ट्रोक का पता चला। उसे दोपहर १२.३० बजे क्लॉट बस्टर इंजेक्शन दिया गया और दोपहर २ बजे मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी के लिए ले जाया गया।

डॉ पई ने कहा, “वह मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से गुजरी और ६ घंटे में धमनी खुल गई। उसे रूमेटिक हार्ट डिजीज नाम की एक अंतर्निहित हृदय समस्या थी, जिसके परिणामस्वरूप हृदय में एक थक्का जम गया और धमनी में रुकावट पैदा हो गई। जिस धमनी को अवरुद्ध किया गया था वह एक मध्यम वाहिका थी जिसे पूर्वकाल सेरेब्रल धमनी A2 खंड कहा जाता था। यह एक दूर की धमनी है जो अवरुद्ध हो गई है। किसी भी उपकरण के साथ वहां तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि धमनी क्षमता में छोटी थी जिसके कारण यह स्वाभाविक रूप से पतली और नाजुक होती है।

वह ठीक होकर ६ दिन में घर चली गई। यांत्रिक थ्रोम्बेक्टोमी अवरुद्ध धमनी को खोलने और रक्त की आपूर्ति बहाल करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया एक घंटे तक चली। ‘‘मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है और स्ट्रोक के रोगियों को उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकती है। यदि धमनी को पूरी तरह से खोलने के साथ समयबद्ध तरीके से किया जाता है, तो कम समय में पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद की जा सकती है।’’, डॉ पई ने कहा।

मरीज सुषमा ने कहॉं की, “स्ट्रोक के झटके के कारण मैं बेहोश हो गई थी। लेकिन वॉक्हार्ट अस्पताल के डॉक्टरोंने तुरंत इलाज करके मुझे नई जिंदगी दी हैं। मेरी जान बचाने के लिए मैं डॉक्टरों का शुक्रिया अदा करता हूं। मैं अपने जैसे अन्य रोगियों से आग्रह करता हूं कि वे अपना अत्यधिक ध्यान रखें और नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहें।’’

 

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