भाजपा ने काटे सौ से ज्यादा सांसदों के टिकट, और भी कई बड़बोले और अलोकप्रिय सांसदों पर गिर सकती गाज?

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नई दिल्ली : अबकी बार 400 पार का नारा देनेवाली भाजपा ने अबतक सौ से ज्यादा विद्यमान सांसदों के टिकट काट दिए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में सबसे अधिक सांसदों पर गाज गिरी है। बीते चुनाव में यहां क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा ने 26 में से 14 सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं। दिल्ली में सात में से छह सांसद तो उत्तर प्रदेश में पांचवीं सूची में नौ सांसद टिकट पाने में नाकाम रहे।
भाजपा की मंगलवार को जारी छठी सूची में तीन और सांसदों का टिकट काट दिया गया। पार्टी ने अब तक दस मंत्रियों समेत 103 सांसदों को फिर मौका नहीं दिया। 2019 के चुनाव में पार्टी ने 119 सांसदों का टिकट काटा था। भाजपा ने इस बार न सिर्फ अलोकप्रिय बल्कि बड़बोले व बयानों से विवाद खड़ा करने वाले सांसदों से भी पीछा छुड़ाया है। इनमें गोडसे को महान बताने वाली भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा, समुदाय विशेष के खिलाफ टिप्पणी करने वाले प्रवेश वर्मा, संसद में अल्पसंख्यक समुदाय के सांसद के खिलाफ टिप्पणी करने वाले रमेश बिधूड़ी और पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधने वाले वरुण गांधी जैसे नेता शामिल हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में सबसे अधिक सांसदों पर गाज गिरी है। बीते चुनाव में यहां क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा ने 26 में से 14 सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं। दिल्ली में सात में से छह सांसद तो उत्तर प्रदेश में पांचवीं सूची में नौ सांसद टिकट पाने में नाकाम रहे। ओडिशा से चार और बिहार, कर्नाटक व झारखंड से तीन-तीन सांसदों का पत्ता कट चुका है। जब 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी हुई थी, तब एकबारगी ऐसा लगा था कि पार्टी निवर्तमान सांसदों के लिए दिल बड़ा करेगी। पहली सूची से 33 सांसदों का टिकट कटा था। तब यूपी के सभी 41 सांसद टिकट हासिल करने में कामयाब रहे थे।

कई केंद्रीय मंत्रियों का भी टिकट कटा!

भाजपा की मंगलवार को जारी सूची में राजस्थान की दो और इनर मणिपुर की एक सीट पर नए चेहरे को मौका दिया गया। करौली-धौलपुर सीट पर मनोज राजोरिया की जगह इंदुदेवी जाटव, दौसा में जसकौर मीणा की जगह कन्हैयालाल मीणा और इनर मणिपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह की जगह बसंत कुमार सिंह को टिकट दिया गया। पार्टी ने अब तक 405 प्रत्याशी उतारे हैं। 35 और प्रत्याशियों की घोषणा शेष है। इनमें बड़ी संख्या यूपी की है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और कितने सांसदों के टिकट काटती है और जिन सांसदों के टिकट कटे हैं उनकी नाराजगी को झेलते हुए अबकी बार 400 का लक्ष्य कैसे हासिल कर पाती है।

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